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अलाऊद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in Hindi

  अलालुदीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in hindi परिचय  • अलालुद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का शासक था , जो की अपनी शक्ति से सम्पूर्ण भारत पर अपना अधिकार करना चाहता था इसलिए अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए स्वयं को अपारशक्तिशाली बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई थी जिसमे से  उसकी " बाजार नियंत्रण नीति व योजना " इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि ये योजना का वर्तमान अर्थ व्यवस्था में भी उपयोग होता है ।  [ बाजार नियंत्रण नीति अपनाने का कारण ] 1. आर्थिक स्थिति को लंबे समय के लिए मजबूत बनाने  रखने की सोच :  अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए बाहरी अभियान किए थे जिसमे उसको अपार धन खर्च करना पड़ा था ।  2. स्थायी सैन्य व्यवस्था की स्थापना : अलाउद्दीन को स्मरण था की विश्व विजय प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसके पास विशाल सेना होने के साथ ही साथ दिल्ली सल्तनत में एक बड़ी , बलवान , सशस्त्र स्थायी सेना का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है अर्थात अलाउद्दीन के लिए महत्वपूर्ण था कि वो दिल्ली में स्थायी सेना को सुसज्जित करक...

26 जनवरी क्यों मनाते है ?

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 26 जनवरी क्यों मनाते है ?  परिचय – • भारत को 1947 15 अगस्त मे ब्रिटिश सरकार की अधीनता से छुटकारा मिल था अर्थात भारत स्वतंत्र भारत बन गया था । 1950 मे भारत मे लोकतंत्र की स्थापना हुई तथा भारत मे भारत का संविधान लागू हुआ था ।  26 जनवरी 1950 भारत का संविधान दिवस के रूप मे मनाया जाता है।                    [ 26 जनवरी के  महत्वपूर्ण तथ्य ]   • भारत के संविधान का निर्माण ‘ भीमराव अंबेडकर’ द्वारा किया गया था । • 26 नवंबर 1949 मे संविधान बन कर तैयार हुआ था । •  स्वतंत्र भारत की कानून व्यवस्था संविधान निर्मात्री सभा की स्वीकृति के पश्चात ही भारत मे स्थापित हुई थी । • 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान स्वीकार किया गया था । •  संविधान का वास्तविक लेख ‘डॉ.भीमराव अंबेधकर’ ने प्रस्तुत किया था । •  भारत का संविधान ' प्रेम बिहारी ' ने अंग्रेजी भाषा मे लिखा था । • भारत के संविधान को निर्मित होने मे 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था । • संविधान को काली स्याही से लिखा गया था । • भारत...

बंगाल का विभाजन क्यों हुआ

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 बंगाल का विभाजन क्यों हुआ                      [ बंगाल विभाजन ]  परिचय - • 1857 के पश्चात से ही भारत मे अंग्रेजों के लिए आंदोलन की प्रक्रियाए निरंतर घटित होती ही रही थी , ईस्ट इंडिया कंपनी ने जो शोषण किया था और भारतीयों के साथ व्यवहार एवं दमनकारी नीतियों के उपयोग से समाज मे अत्यधिक घृणा को जन्म दिया था उसका असर 1858 के अधिनियम के पश्चात भी बना रहा था । • 1858 अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत भले ही कर दिया था और भारत का शासन ब्रिटेन संसद के अधीन कर दिया था , लेकिन भारत मे शासन करते हुए अंग्रेज सरकार ने भारतीयों के लिए कोई कार्य नहीं किया था , न भारतीयों की किसी मांग को पूरा किया था , भारत उम्मीद मे था कि ईस्ट इंडिया कंपनी के अंत होने के बाद अब सरकार उनकी समस्याओ का समाधान करेगी और उनकी मांगों को स्वीकार करेगी । • ब्रिटिश सरकार भारत को सदैव अपना गुलाम बनाए रखना चाहती थी इसीलिए अंग्रेज सरकार ने नवीन अधिनियमों को पारित कर कर के प्रशासनिक एवं कठोर नियमों से बांध कर भारतीयों को ‘ सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक व धार्मि...

मकर संक्रांति का इतिहास

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मकर संक्रांति का इतिहास परिचय मकर संक्रांति भारत और नेपाल का एक प्रमुख उत्सव है ‘मकर संक्रांति’ । प्राचीनकाल से इस उत्सव का विशेष स्थान भारत के   विभिन उत्सवों मे से एक है | यह सनातन धर्म मे मनाया जाता है जिसका अर्थ होता है - सूर्य की संक्रांति  ।   जब सूर्य पृथ्वी की दक्षिण दिशा से उत्तर की दिशा मे यात्रा करता है अर्थात सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करता है तब इसे “मकर संक्रांति’'  या सूर्य की संक्रांति कहा जाता है । इस दिन से बड़े दिन प्रारंभ होते है , फसल मे वृद्धि के लिए सूर्य की किरण फसल का एक पोषक तत्व होता है , इसी दिन से फसल मे सूर्य की प्रथम किरणे पड़ती है ।  यह दिन फसल मे समृद्धि  की प्रक्रिया का प्रथम दिन होता है , इसके पश्चात पूरे वर्ष फसल का विकास होता है । किसान वर्ग फसल के विकास के लिए प्रसन्न हो कर सूर्यदेव को नमस्कार कर सूर्य पूजा करते है ।               मकर संक्रांति उत्सव मे प्रसिद्ध क्रियाएं  •  मकर संक्रांति मे विशेष रूप से खिचड़ी का भोजन किया जाता है।   खिचड़ी को ...

प्लासी का युद्ध

         प्लासी का युद्ध  परिचय   प्लासी का युद्ध क्लाइव के नेतृत्व में हुआ था । यह युद्ध " प्लासी" नाम के एक गांव में 23 जून 1757 में हुआ था । इस समय यह गांव पश्चिम बंगाल में स्थित है । ∆ प्लासी के युद्ध के कारण  ∆ प्लासी के युद्ध के निम्नलिखित मुख्य कारण थे -  1- घसीटी बेगम की पिता के प्रति नाराजगी -  • अलीवर्दी खां की तीन पुत्रियां थीं । सिराजुद्दौला उसकी सबसे छोटी बेटी अमीना बेगम का पुत्र था ।  • पुत्र के अभाव के कारण अलीवर्दी खां ने सबसे छोटी बेटी अमीना बेगम के पुत्र सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।  • जिसके परिणामस्वरूप अलीवर्दी खां की सबसे बड़ी बेटी घसीटी बेगम तथा अन्य पुत्र उससे नाराजगी जताने लगे तथा अंततः सिराजुद्दौला के खिलाफ निरंतर षड्यंत्र करने होने लगे ।  • घसीटी बेगम और उसके पुत्र शौकतगंज सहित अलीवर्दी खां के अन्य पुत्र और पुत्रियों के द्वारा यह नाराजगी षड्यंत तथा सिराजुद्दौला के विरुद्ध संघर्ष में बदलती गई ।  ∆   इससे सिराजुद्दौला के उत्तराधिकार पर भी प्रभाव पड़ा । और उसका उत्...

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