अलाऊद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in Hindi

  अलालुदीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in hindi परिचय  • अलालुद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का शासक था , जो की अपनी शक्ति से सम्पूर्ण भारत पर अपना अधिकार करना चाहता था इसलिए अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए स्वयं को अपारशक्तिशाली बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई थी जिसमे से  उसकी " बाजार नियंत्रण नीति व योजना " इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि ये योजना का वर्तमान अर्थ व्यवस्था में भी उपयोग होता है ।  [ बाजार नियंत्रण नीति अपनाने का कारण ] 1. आर्थिक स्थिति को लंबे समय के लिए मजबूत बनाने  रखने की सोच :  अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए बाहरी अभियान किए थे जिसमे उसको अपार धन खर्च करना पड़ा था ।  2. स्थायी सैन्य व्यवस्था की स्थापना : अलाउद्दीन को स्मरण था की विश्व विजय प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसके पास विशाल सेना होने के साथ ही साथ दिल्ली सल्तनत में एक बड़ी , बलवान , सशस्त्र स्थायी सेना का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है अर्थात अलाउद्दीन के लिए महत्वपूर्ण था कि वो दिल्ली में स्थायी सेना को सुसज्जित करक...

प्लासी का युद्ध

         प्लासी का युद्ध 

परिचय 

प्लासी का युद्ध क्लाइव के नेतृत्व में हुआ था । यह युद्ध "प्लासी" नाम के एक गांव में 23 जून 1757 में हुआ था । इस समय यह गांव पश्चिम बंगाल में स्थित है ।


∆ प्लासी के युद्ध के कारण 

∆ प्लासी के युद्ध के निम्नलिखित मुख्य कारण थे - 


1- घसीटी बेगम की पिता के प्रति नाराजगी - 

• अलीवर्दी खां की तीन पुत्रियां थीं । सिराजुद्दौला उसकी सबसे छोटी बेटी अमीना बेगम का पुत्र था । 

• पुत्र के अभाव के कारण अलीवर्दी खां ने सबसे छोटी बेटी अमीना बेगम के पुत्र सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। 

• जिसके परिणामस्वरूप अलीवर्दी खां की सबसे बड़ी बेटी घसीटी बेगम तथा अन्य पुत्र उससे नाराजगी जताने लगे तथा अंततः सिराजुद्दौला के खिलाफ निरंतर षड्यंत्र करने होने लगे । 

• घसीटी बेगम और उसके पुत्र शौकतगंज सहित अलीवर्दी खां के अन्य पुत्र और पुत्रियों के द्वारा यह नाराजगी षड्यंत तथा सिराजुद्दौला के विरुद्ध संघर्ष में बदलती गई । 


  इससे सिराजुद्दौला के उत्तराधिकार पर भी प्रभाव पड़ा । और उसका उत्तराधिकार राज्य में अनिश्चित होता चला गया । जिसका फायदा अंग्रेजो ने भी उठाया । 


2- अंग्रेजो द्वारा सिराजुद्दौला की नीतियों को अनसुना करना - 

• पूर्वी नवाब अलीवर्दि खां के समान ही सिराजुद्दौला ने भी अंग्रेजो द्वारा अपनाई गई किले बंदी की नीति को प्रतिबंधित कर दिया । 

• फ्रांसीसियों ने इस आदेश के पालानुसार किलेबंदी की नीति का समापन किया । परंतु वही ब्रिटिश सत्ता ने अवज्ञा का परिचय देते हुए सिराजुद्दौला के इस आदेश को पूर्णतया अनदेखा किया । जिस कारणवश सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजो के मध्य द्वेष बढ़ता गया । 


3 - संबंधियों द्वारा सिराजुद्दौला का खूनबहाने का प्रयास - 

• मौसी घसीटी बेगम तथा भाई शौकातगंज के विरोध से यह पूर्णतया स्पष्ट था कि उसके संबंधी ही उसके विरोधी थे । उसके विरोधियों द्वारा अंग्रेजो को निरंतर अनुदान की स्थिति को देखकर सिराजुद्दौला ने अंग्रेजो के खिलाफ संशय का अनुभव किया । 


4 - राजकोष को नुकसान - 

• दस्तक का दुरुपयोग होने के कारण व्यापार को हानि पहुंची , चूंकि अंग्रेजी व्यापारियों ने दस्तक को अवैध रूप से विभिन्न अंग्रेज तथा भारतीय व्यापारियों को भारी मांग पर बेचना प्रारंभ कर दिया । 

• जिसके परिणाम स्वरूप लगभग व्यापार का आधा भाग कर से मुक्त हो गया । जिस कारण राजकोष में राजस्व आना बंद हो गया। 

अर्थात् राजकोष शैन्य - शैन्य रिक्त होता चला गया । 


5 - सिराजुद्दौला की अंग्रेजो से अलीनगर संधि -

• अपने भाई अपने भाई शौकतगंज से संघर्ष की स्थिति में जिस सेनापति को सिराजुद्दौला ने कोलकाता का उत्तरदायित्व दिया इस सेनापति मानिकचंद ने भी सिराजुद्दौला के पीठ पीछे उस पर वार किया व अंग्रेजों से जा मिला । 

चंद्र नगर में फ्रांसीसियों का बोलबाला था । सिराजुद्दौला को वहां भी षड्यंत्र का सामना करना पड़ा अंग्रेजों से अलीनगर संधि के पश्चात क्लाइव ने उससे षड्यंत्र कर चंद्र नगर को अपने अधीन कर लिया । 


6 - सिराजुद्दौला के प्रति निरंतर होते षड्यंत्र - 

• सिराजुद्दौला के दरबार में क्लाइव ने कई षड्यंत्र करवाए । 

• सेनापतियों को लालच देकर तो कहीं किसी सेनापति अथवा सेवा नायक को नवाब बनने का झूठा दिलासा देते हुए सभी को सिराजुद्दौला के विरुद्ध कर दिया गया । सिराजुद्दौला के अपने सगे तथा संबंधी ही उसके अपने न हुए । उसकी संपूर्ण शासन काल अपने सगे संबंधियों तथा समय के ही दरबारी द्वारा षड्यंत्र का सामना करने में बीता । 

• कभी झूठ आरोपी द्वारा तो कभी उसके प्रति बेईमानी के द्वारा उसे उत्तराधिकार से बर्खास्त करने का निरंतर प्रयास किया गया । 

∆ इन सभी कारणों से प्लासी का युद्ध हुआ ।  

• "प्लासी" नामक ग्राम में सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच युद्ध हुआ। सिराजुद्दौला के कई सेनापति इस युद्ध में उसके प्रति वफादार न निकले , उसने यहां अभी षड्यंत्र का सामना किया । लाइव तथा अंग्रेजी सेवा के लिए लड़ने वाले यह सेनापति थे - मीर जाफर तथा राय दुर्लभ। 

• अपनी स्थिति को देखते हुए सिराजुद्दौला युद्ध से भाग निकला । और अंततः उसी के सेनापति मिर्जापुर के पुत्र मीस द्वारा सिराजुद्दौला की हत्या कर दी गई । 


∆ प्लासी के युद्ध की विशेषताएं -  

• इस युद्ध की निम्नलिखित विशेषताएं थी -

1 - प्लासी का युद्ध पूर्ण होता है कपट के सिद्धांत पर आधारित रहा । 

2 - भारत के इतिहास में प्लासी का युद्ध अंग्रेजी संघर्ष का अनोखा रूप दर्शाता है । 

" अंग्रेजो ने न अस्त्र से, न शस्त्र से , न बंदूक से , न तलवार से 

युद्ध को जीता था , कपट के सिद्धांत से । " 

3 - भारत में अंग्रेजी सत्ता की नींव को मजबूती प्लासी के युद्ध के परिणाम स्वरुप ही मिली । 


∆ प्लासी के युद्ध के प्रभाव - 

• प्लासी के युद्ध के प्रभाव अत्यंत ही दुखनीय हुए । इस युद्ध के फलस्वरूप ही कंपनी की तानाशाही बढ़ती गई । जिसका प्रभाव संपूर्ण भारतवर्ष तथा बंगाल पर पड़ा । 

✓ प्लासी के युद्ध के निम्नलिखित प्रभाव पड़े -

1 - प्लासी का युद्ध केवल कंपनी का ना होकर संपूर्ण ब्रिटिशर्स के भारत पर प्रतिनिधित्व की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा । 

2 - भारत के इतिहास में राजनीतिक दृष्टि से प्लासी का युद्ध अंग्रेजी सत्ता को भारत पर प्रतिनिधित्व का बहुत बड़ा कारण रहा । 

3 -  युद्ध से बंगाल को अत्यधित आर्थिक हानि उठानी पड़ी । 

4 - भारत के व्यापार पर अंग्रेजी सत्ता का बोलबाला हो गया । 

5 - बंगाल की दीवानी युद्ध के परिणामस्वरूप कंपनी को प्राप्त हुई । 

6 - कंपनी की शक्तियों में भी इजाफा हुआ । 

7 - मीरकासिम को नवाब बनने के परिणामस्वरूप प्लासी का युद्ध , बक्सर के युद्ध का एक महत्वपूर्ण कारण बना ।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

खिलजी वंश के वस्तुनिष्ठ प्रश्न | Khilji Vansh Ke Mcq questions in hindi

भारत में हरित क्रांति

गुलाम वंश के वास्तुनिष्ठ प्रश्न in hindi