स्ट्रैची कमीशन in hindi
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स्ट्रैची कमीशन in hindi
[स्ट्रैची कमीशन : 1880]
∆ लिटन के भारत के गवर्नर जनरल नियुक्त होने के बाद ही दुर्भाग्य से भारत में एक बहुत ही गंभीर अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई।
• इस अकाल ने भारत की स्थिति अत्यंत ही खराब कर दी थी । करीब 45 से 50 लाख से अधिक लोग इस अकाल की स्थिति में सिर्फ भूख से पीड़ित रहे और अंततः उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी ।
• लिटन ने इस अकाल की स्थिति में सर रिचर्ड स्ट्रैची की अध्यक्षता में एक कमीशन की शुरुआत 1880 में की। जो भारत के इतिहास में स्ट्रैची कमीशन के नाम से विख्यात हुआ ।
∆ स्ट्रैची कमीशन में सरकार से कई सिफारिशे की गई । जिनमें कुछ मुख्य सिफारिशे इस प्रकार है -
1 . सहायता अत्यंत सुलभ हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कार्य हेतु नियुक्त किया जा सके अतः सहायता किसी भी प्रकार से अस्थाई ना रहे।
2. जो व्यक्ति किसी भी प्रकार से अपने शरीर से अस्वस्थ ,विकलांग अथवा शारीरिक कार्य करने में असमर्थ हो उन्हें भी सहायता का लाभ उन व्यक्तियों के समान ही मिल सके जिस प्रकार शरीर से स्वस्थ लोगों को कार्य करके मिलना था।
3. उन लोगों के लिए खाने ,रहने ,चिकित्सा आदि दैनिक जीवन में आने वाली वस्तुओं तथा बाजारों का उचित प्रबंध हो, जो लोग कार्य करते हैं ।
4. अकाल के समय में सहायता करना सरकार की जिम्मेदारी हो ।
5. अकाल की प्रतीक्षा के बजाय अकाल पड़ने की संभावित स्थिति में ही सहायता जल्द से जल्द प्रदान कर दी जाए ।
6. अकाल की स्थिति में ऋण देकर भी सहायता की जिम्मेदारी जमीदार की हो।
7. लंबे समय के अकाल की स्थिति में लोगों को बना- बनाया भोजन दिया जाए ।
8. भू- लगान को ऐसी स्थिति में कुछ अंतराल के लिए रद्द कर दिया जाए ।
9. सरकार का यह दायित्व हो की अकाल की स्थिति में कृषि कार्य अथवा जानवरों की खरीदी हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाए।
10. अकाल के समय जो भी ऋण उपलब्ध कराया जाएगा वह सारा धन बाद में करो के माध्यम से ही वापस लिया जाएगा।
11. कर उपलब्ध कराने वाली समितियां तथा संस्थाओं को भी इस सहायता में शामिल किया जाए।
12. स्थिती के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर भू- लगान को भी वापस कर दिया जाए।
13. अकाल हेतु केंद्र नियंत्रण तथा केंद्र की निगरानी में "दुर्भिक्ष कोड" बनाया जाए।
14 . दुर्भिक्ष कोड का केंद्र नियंत्रण में रहना अनिवार्य हो ।
∆ इसी स्ट्रैची कमीशन को "मील का पत्थर" भी कहा गया है । इसी समय इस अकाल की स्थिति हेतु "अकाल सहायता कोष" (वित्तीय विभाग) का भी गठन हुआ । इसका गठन सरकार द्वारा दिए गए सहायता की राशि को रखने हेतु किया गया था । ताकि अकाल अगर आने वाले समय में दुबारा ना पड़ा तो यह धन राष्ट्र में सामाजिक कार्यों और उन्नति के लिए किया जा सके । लिटन का यह कार्य इतिहास में काफी प्रशंसनीय रहा ।
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