अलाऊद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in Hindi

  अलालुदीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in hindi परिचय  • अलालुद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का शासक था , जो की अपनी शक्ति से सम्पूर्ण भारत पर अपना अधिकार करना चाहता था इसलिए अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए स्वयं को अपारशक्तिशाली बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई थी जिसमे से  उसकी " बाजार नियंत्रण नीति व योजना " इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि ये योजना का वर्तमान अर्थ व्यवस्था में भी उपयोग होता है ।  [ बाजार नियंत्रण नीति अपनाने का कारण ] 1. आर्थिक स्थिति को लंबे समय के लिए मजबूत बनाने  रखने की सोच :  अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए बाहरी अभियान किए थे जिसमे उसको अपार धन खर्च करना पड़ा था ।  2. स्थायी सैन्य व्यवस्था की स्थापना : अलाउद्दीन को स्मरण था की विश्व विजय प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसके पास विशाल सेना होने के साथ ही साथ दिल्ली सल्तनत में एक बड़ी , बलवान , सशस्त्र स्थायी सेना का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है अर्थात अलाउद्दीन के लिए महत्वपूर्ण था कि वो दिल्ली में स्थायी सेना को सुसज्जित करक...

माउंटबेटन योजना in hindi

माउंटबेटन योजना in hindi 

       [ माउंटबेटन योजना ]

• माउंटबेटन योजना 3 जून 1947 को भारत के समक्ष पेश की गई थी । यह योजना लॉर्ड माउंटबेटन के द्वारा अस्तिस्त्व में आई,जिस कारण यह योजना उनके ही नाम पर "माउंटबेटल योजना"कहलाई ।  

1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम में इसकी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है । इसका कारण यह है कि इसी योजना के अंतर्गत ही 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया गया था। 

• इसी योजना में लॉर्ड माउंटबेटन के द्वारा कई भारतीय नेताओं से बात चीत तथा परामर्श पर पाकिस्तान की स्थापना की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। जो की तमाम भारतीयों की समस्या का एकमात्र उपाय था।

इस योजना के कुछ अति महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित है -

1- असम की जनता पूर्वी बंगाल में आत्मसात रूप से रहेगी या असम में, इसकी पुष्टि निर्णय संग्रह के माध्यम से होगी ।

2- भारत-पाकिस्तान की सीमा एक आयोग के द्वारा निर्धारित की जाएगी । बशर्त असम बंगाल तथा पंजाब विच्छेद के पक्षपाती होने चाहिए तो ही इस स्थिति में नए आयोग की नियुक्ति होगी ।

3- भारत में में रहने वाले देसी आधिपत्य समाज को यथाभिस्ट अधिकार प्राप्त होगा कि वह भारत में रहना चाहते हैं या पाकिस्तान में रहना चाहते हैं।

4 - दोनों देशों में से सीमा क्षेत्र किस देश में सम्मिलित होगा इसका निर्णय गवर्नर जनरल के आदेश पर लिया जाएगा ।

5- दोनों देशों के बीच ऋण देने तथा लेने वालों को समझौते के द्वारा खंडों में अलग किया जाएगा ।

6 - दोनों ही देशों को राष्ट्रमंडल के सदस्य होने की स्थिति को कभी भी त्याग करने का अधिकार प्राप्त होगा।


   [ 1947 का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ] 

• इस अधिनियम को 18 जुलाई 1947 को कानूनी रूप से स्वीकृति प्राप्त हुई थी जो की 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश पार्लियामेंट के समक्ष रखा गया था ।

∆ इसमें 20 धारा है कि जिम से मुख्य इस प्रकार है -

1- भारत तथा पाकिस्तान दोनों के हेतु निजी गवर्नर जनरल -

• दोनों देश में मंत्रिमंडल की सहायता से दोनों देशों में उनके गवर्नर जनरल नियुक्त होंगे भारत में लॉर्ड माउंटबेटन तथा पाकिस्तान में जिन्ना ने गवर्नर जनरल के पद को संभाला।


2- ब्रिटिश संसद की भारत से समाप्ति -

इसके अंतर्गत भारत में 15 अगस्त 1947 के पश्चात ब्रिटिश संसद भारत तथा पाकिस्तान दोनों ही देश में समाप्त कर दी जाएगी। 


3- पाकिस्तान की स्थापना -

• इस अधिनियम के तहत ही पाकिस्तान की स्थापना हेतु स्वीकृति प्राप्त हुई थी । जिसमें 15 अगस्त 1947 को दो नए देश (भारत-पाक) की स्थापना होगी ।


4- ब्रिटिश पार्लियामेंट के भारत में नियंत्रण की समाप्ति -

भारत तथा पाक दोनों में ही ब्रिटिश संसद के नियम तब तक स्वीकार या लागू नहीं होंगे जब तक दोनों देशों में वहां के विधान मंडल उसे स्वीकृति नहीं प्रदान कर देते ।


5 - संविधान निर्माण की स्वीकृति -

• दोनों देश अब अपनी-अपनी संविधान सभा द्वारा संविधान का निर्माण कर सकेंगे ।


6- 1935 के भारतीय शासन अधिनियम -

• इस नियम के अनुसार जब तक नया संविधान स्थापित नही करा जाता है , तब तक इसी अधिनियम के अनुरूप ही भारत का शासन  क्रियाशील रहना था , तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कई विशेष बदलाव अधिनियम में किए गए थे । उदारण के लिए गवर्नर जनरल , भारत मंत्री शासन के सबंधित कानून और विशेषाधिकार का समापन कर दिया गया था । 


7 - सर्वोपरि शक्ति का अंत - 

• भारत और पाकिस्तान की सर्वोपरि शक्ति को खत्म कर दिया गया और उन्हें अपने अपने राष्ट्रीय के लिए नियम , कानून और अंतराष्ट्रीय संबध स्थापित करने के लिए पूर्ण स्वतंत्रता दी गई।


निष्कर्ष: 1947 " भारत सरकार अधिनियम " भारत की स्वतन्त्रता का अधिनियम था । 

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