क्यों अपकृत्य विधि भारत में विद्यमान नही ?
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
[ क्या है अपकृत्य विधि ]
• विधि के द्वारा ही समाज में जीवन को सुव्यवस्थित करना संभव होता है , वर्षो से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सुव्यवस्था कायम करने के लिए नियम व विधि का निर्माण हुआ था । विधि द्वारा जीवन के सभी क्षेत्रों को संहिताबद्ध करके प्रत्यक कृत्य को क्रियावत करने का एक सर्वमान्य लोक हित नियम का सृजन करा जाता है । विधि का गहन अध्ययन विधिशास्त्र में होता है और इसका निर्माण , स्वरूप , विशेषता , गुणनात्मक व्याख्या करने वाले विधिशास्त्रीय कहलाते है ।
• संविधानिक रूप मे भारत का संविधान विभिन्न राष्ट्रों के सविधान से संबंधित है और इसी कारण भारत का संविधान और भारतीय विधि में कई राष्ट्रों के विधि और न्याय व्यवस्था का लेख प्राप्त होता है ।
• भारतीय अपकृत व्यवस्था इंग्लैंड अपकृत्य विधि के तत्व , तथ्य से आधारित है फ्रेंच में इसका अर्थ " गलत " कहा जाता है, इसलिए भारतीय और इंग्लैंड अपकृत्य विधि कुछ समानताएं भी है और कुछ मतभेद भी व्याप्त है।
• 1926 में बम्बई, कलकत्ता और मद्रास में जिस न्यायालय पुनर्गठन किया गया था वो सब अंग्रेजी न्यायालय जैसा ही निर्मित किया गया था और इस न्यानयाल को मेयर्स कोर्ट कहा जाता था ।
• अपकृत्य विधि को स्पष्ट रूप से व्याख्याकित कर पाना संभव तो नही है परंतु इसकी व्याख्या कर इसको विधिशास्त्रियो ने अपकृत विधि को परिभाषित करा है ।
अपकृत विधि परिवर्तनीय , विकाशील और न्यायाधीश के विवेक और व्यक्तित्व से ज्यादा प्रभावित होती है और समय समय के साथ इसमें परिवर्तन भी किए जाते रहे है ।
• अपकृत विधि में उन अपकृत्यो के लिए नियम विद्यमान है जो अपराध अपकृत्य के अंतर्गत पाए जाते है । अर्थात् किसी व्यक्ति का अपने कर्तव्यों का अनुपालन ना करना या किसी संविदा में रहते हुए किसी को क्षति पहुंचाना या किसी के पूर्णाधिकारो का हनन करना , मानहानि , हमला , दुराशय से कृत्य अपकृत्य के क्षेत्र से सीधा ताल्लुक रखते है ।
• " पिजियन होल सिद्धांत " - यदि अपकृत्य के क्षेत्र का अध्यन किया जाए तो ऐसे अनेक मामले होंगे जिनमें अपराध और अपकृत्य दोनो ही एक समान प्रकट होते नजर आयेंगे , इसलिए विधिशास्त्रीय और न्यायाधीशो द्वारा एक सिद्धांत की स्थापना करी जिसको सामग्री स्पष्ट करी गई ताकि ये स्पष्टता से जाना जा सके की कौन से कृत्य अपकृत्य से संबंधित है और कौन से अन्य से संबंधित है।
[ क्यों भारत में अपकृत्य विधि विकसित नहीं हो सकी ? ]
• भारत में अपकृत्य विधि विकसित न हो सकी क्योंकि ये विधि अंग्रेज साधारण विधि से विकसित हुई थी , चुंकि अपकृत्य विधि को एक व्यवस्थित ढंग से संतुलित व्यवस्था में स्थापित नही किया जा सका था इसलिए अपकृत्य विधि भारत में विकासशील न हो सकी , कारण की चर्चा करे तो किसी भी विधि को संहिता द्वारा ही क्रमानुसार उपयोग में लाया जा सकता है और भारत में अपकृत्य विधि किसी भी आधार से संहिताबद्ध नहीं हो सकी है ।
• जिस प्रकार भारत और अंग्रेज देश में विभिन्न है उस हिसाब से हर कानून और न्याय व्यवस्था को सुचारू ढंग से भारत में उपयोग के लिए निश्चित किया जाना असंभव है , मुख्य कारण यही है की अंग्रेज प्रशासन और भारतीय सरकार दोनो स्थानों में कई विभिन्नता है अर्थात् इसलिए अपकृृत्य विधि और कानून व्यवस्था इंग्लैंड और भारत में भिन्न भिन्न प्रकार से संहिताबद्ध रही है ।
[ भारत में अपकृत्य विधि की स्तिथि ]
• भारत में अपकृत्य विधि को विकसित नहीं किया जा सका है अपितु भारत में टॉर्ट/अपकृत्य विधि को और कृत्य में अपकृत्य की गंभीरता को समझना मुश्किल क्योंकि अपराध और अपकृत्य विधि में भेद कर पाना जटिल प्रक्रिया सिद्ध हुई है । अपकृत्य गलती से या जानबूझ कर या लापरवाही से किसी अन्य व्यक्ति को क्षति पहुंची हो तो ये अपकृत्य विधि के अधीन आता है
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ
Informative 👌👌👌
जवाब देंहटाएं