अलाऊद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in Hindi

  अलालुदीन खिलजी की बाजार नियंत्रण नीति in hindi परिचय  • अलालुद्दीन खिलजी, खिलजी वंश का शासक था , जो की अपनी शक्ति से सम्पूर्ण भारत पर अपना अधिकार करना चाहता था इसलिए अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए स्वयं को अपारशक्तिशाली बनाने के लिए कई योजनाएं बनाई थी जिसमे से  उसकी " बाजार नियंत्रण नीति व योजना " इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि ये योजना का वर्तमान अर्थ व्यवस्था में भी उपयोग होता है ।  [ बाजार नियंत्रण नीति अपनाने का कारण ] 1. आर्थिक स्थिति को लंबे समय के लिए मजबूत बनाने  रखने की सोच :  अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली सल्तनत का शासक होते हुए बाहरी अभियान किए थे जिसमे उसको अपार धन खर्च करना पड़ा था ।  2. स्थायी सैन्य व्यवस्था की स्थापना : अलाउद्दीन को स्मरण था की विश्व विजय प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए उसके पास विशाल सेना होने के साथ ही साथ दिल्ली सल्तनत में एक बड़ी , बलवान , सशस्त्र स्थायी सेना का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है अर्थात अलाउद्दीन के लिए महत्वपूर्ण था कि वो दिल्ली में स्थायी सेना को सुसज्जित करक...

भारत क्यों आए थे पुर्तगाली ? | portugali bharat kab aaye the ?

पुर्तगाली भारत कब आए थे? 

   भारत में पुर्तगाली शक्ति विस्तार

• भारत में पुर्तगाली के आगमन का प्रारंभ तब हुआ था जब भारत में पहली बार पुर्तगाली नाविक "वास्कोडीगामा" ने भारत के कालीकट स्थान पे कदम रखा । पुर्तगाली व्यापार की नीव भारत में वास्कोडीगामा के आगमन से हुई थी । 


1498 में वास्को डी गामा जब व्यापार के लिए नए मार्ग की खोज में थे तब उनके कदम भारत के कालीकट स्थान पे पड़े और भारत की खोंज हुई , इतिहासकार मानते है की 1498 के पूर्व तक भारत खोया हुआ देश था जिसके बारे में किसी को कोई निश्चित जानकारी नहीं प्राप्त थी। वास्को डी गामा की भारत की खोज का उद्देश्य व्यापारिक ही था , इसी के पश्चात् पुर्तगाली भारत में अपना स्वामित्व व्यापार के माध्यम से भारत में अपना शासन भी स्थापित करने के ललाइत थे । 

• भारत में यूरोपीय जातियों में सबसे पहले पुर्तगाली ही थे जो भारत को अपने व्यापारी तथा आर्थिक स्वार्थ के लिए उपयोग कर भारत में साम्राज्य बनाना चाहते थे । 


         [ भारत में पुर्तगाल और वास्को डी गामा

20 मई 1498 वास्को डी गामा कालीकट, भारत पहुंचे थे उस वक्त वहा का शासक जमोरिन ( zomorin ) था , हालाकि जमोरीन ने वास्को डी गामा का भारत में स्वागत बड़े सम्मान के साथ किया था इसी के चलते भारत में अरब व्यापारी वास्को डी गामा के स्वागत से बेहद नाखुश हुए थे , कारण ये था कि अरब व्यापारी भी भारत में व्यापारिक सुविधा का लाभ उठाना चाहते थे और पुर्तगाली व्यक्ति वास्को डी गामा के भारत आगमन का उद्देश्य भली भांति जानते थे , अरब व्यापारियों ने वास्को डी गामा का विरोध किया इस विरोध के चलते वास्को डी गामा विवश होके स्वदेश लौट गए थे । 



• भारत से वास्को डी गामा के लौट जाने के पश्चात क्रैमवेल ( पुर्तगाली जहाज़ी बेड़े का नेता ) ने कोचीन और कालीकट में पुर्तगाली व्यापार के लिए कारखानों का निर्माण किया और भारत में अपने व्यापार को स्थापित कर अपने कदम भारत में जमाने शुरू कर दिए। 


1502 में वास्को डी गामा ने दुबारा भारत की यात्रा करी और भारत आके पुर्तगाली व्यापार को परिपक्त करने की योजना बनाई क्योंकि वास्को डी गामा को ज्ञात हो चुका था की अरबों के होते हुए भारत में पुर्तगाली व्यापार को प्रोत्साहन दे पाना कठिन कार्य होगा , अरब व्यापारी ही एक मात्र पुर्तगालियों के प्रतिद्वंदी थे इसलिए वास्को डी गामा ने कालीकट तथा कोचीन के साथ ही कन्नानौर में पुर्तगाली कारखाने का निर्माण करते हुए अरबों से सुरक्षित करने के लिए कारखाने की किलेबंदी कर दी थी ।


• अरब व्यापारी पुर्तगाली व्यापार को स्थापित नही होने देना चाहते थे , व्यापारिक प्रतिद्वंदिता के कारण अरबों ने षडयंत्र रचा और जमोरिन को पुर्तगालियों के विषय में भड़काया , जमोरिन अरबों के इस षडयंत्र का शिकार हो गया इसके पश्चात् जमोरिन और पुर्तगालियों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया । 


• कोचीन में भिड़े पुर्तगाली और जमोरिन के बीच हुआ ये युद्ध एक निर्णायक युद्ध रहा और इसका परिणाम ये हुआ की पुर्तगाली कमांडर ने जमोरिन को युद्ध में परास्त कर दिया और अब एक कारखाना कालीकट में भी स्थापित किया गया । जमोरिन की हार से पुर्तगालियों का भारत में आना जाना बढ़ता गया तत्पश्चात 1505 तक पुर्तगाली भारत में अपने व्यापार को परिपक्त कर चुके थे और पश्चिमी तट तक अपना व्यापार स्थापित करने लगे थे।

      
 
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       ∆ फ्रान्सिस्को आल्मिडा  [ 1506 - 1509

1506 तक पुर्तगाली भारत में अपनी बस्तियों का निर्माण भी कर चुके थे , क्योंकि पुर्तगाली भारत से जाना नही चाहते थे और यही बस कर अपने व्यापार को और अधिक बढ़ाने के इच्छुक थे ।


1506 में पुर्तगाली बस्तियों का कार्यकरण करने के लिए गवर्नर पद का सृजन करते हुए फ्रान्सिस्को आल्मिडा  पुर्तगाली बस्तियों का गवर्नर नियुक्त किया गया जो की पुर्तगाली बस्तियों का "प्रथम गवर्नर" था ।


• " ब्लू वाटर नीति ", आल्मिडा कहता था की , " हमे संपूर्ण शक्ति सागर पे लगा देनी चाहिए क्योंकि अगर हम सागर पे शक्तिशाली नही होने तो जल्द ही हर वस्तु हमारे विरुद्ध होने लगेगी । " पुर्तगाली व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिए एक नीति की अपनाई जिससे आज इतिहास में " ब्लू वाटर नीति " के नाम से जाना जाता है । इस नीति का उपयोग कर के आल्मिडा  ने पुर्तगाली व्यापार को भारत में स्थाई रूप प्रदान करने का प्रयास किया था और इस नीति को सृजन करते हुए आगे बढ़ रहा था और भारत में कई स्थानों तक पुर्तगाली व्यापार को प्रोत्साहन देता जा रहा था ।


1509 की तिथि आल्मिडा के लिए दुर्भाग्य की तिथि थी , जब वो मिस्र के साथ जल युद्ध लड़ रहा था , अंत तक तो मिस्र की जल सेना को  बुरी तरह परास्त करने में कामियाब रहा अपितु अंत में आल्मिडा अपने पुत्र साथ इस जल युद्ध में अपनी जान गावा बैठा ।


           ∆ अल्बुकर्क [ 1509 – 1515

• दूसरा पुर्तगाली बस्तियों का गवर्नर " अल्बुकर्क " नियुक्त हुआ था । जहा आल्मिडा ने पुर्तगाली व्यापार को प्रोत्साहन देते हुए व्यापार स्थापित कर के पुर्तगाली व्यापार को स्थाई रूप प्रदान करने के कार्य प्रारंभ ही किया था अपितु अपने लक्ष्य की पूर्ति और भारत में पुर्तागामी व्यापार को स्थाई नहीं बना सका था । अल्बुकर्क ने अपनी योग्यता, इच्छा शक्ति , साम्राज्यवादी नीतियों से पुर्तगालियों का भारत पे साम्राज्य स्थापित किया इसलिए भारत में पुर्तगाली शक्ति और व्यापार का वास्तविक संस्थापक " अल्बुकर्क " कहलाया जाता है । 


[ अल्बुकर्क के कार्य तथा दुर्ग स्थापना ] 


1510 बीजापुर सुल्तान को युद्ध में परास्त करके गोवा को भारतीय पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी घोषित किया।

फारस पे आक्रमण कर फारस द्वीप "ओरमज" को अपने अधीन कर लिया था ।

लाल सागर पे स्थित सकोत्रा ( scotra) स्थान पे अधिकार कर वहा पुर्तगाली व्यापार प्रोत्साहन के लिए कारखानों का निर्माण कर किलेबंदी करवाई । 

1511 में मलक्का ( मलाया द्वीप ) पे एक विशाल दुर्ग का निर्माण किया । 

लंका की राजधानी कोलंबो को पुर्तगाली व्यापार का व्यापारिक केंद्र बनवाया । 

  भारत एक समृद्धशाली देश था , भारत से यूरोप की लगभग सभी जातियां व्यापार करने की इच्छुक थी और तो और उस वक्त " ब्रिटेन, फ्रांस " आदि जातियां भारत में  अपने व्यापारिक साम्राज्य के साथ ही अपना शासन भी स्थाई रूप से स्थापित करना चाहती थी , भारत और पुर्तगाली जाति का इतिहास इसलिए विशेष है क्योंकि पुर्तगाली जाति ही वो पहली जाति थी जिसने भारत पे साम्राज्य स्थापित करने के विषय में गतिविधि करी थी।


निष्कर्ष : पुर्तगाली भारत कब आए थे | portugali bharat kab aaye the ?



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